Posted in Uncategorized

ईद मुबारक 🎉

चाँद की दीद मुबारक,
सभी को ईद मुबारक ।

कोरोना में दो गज की दूरी बनी रहे,
मगर दिलों की दूरी में कमी बनी रहे।

अब तुमको और क्या बताएँ यार सामने कितनी बड़ी मजबूरी है,
अगली ईद पर तुमसे गले मिल सकें इसलिए इस बार ये दूरी है।

क्या हुवा जो इस बार हम तुम गले न मिल सके ,
इस बार तेरे नाम की सिवई हमारी रसोई में ही पके ।

सिंवई इस बार हम थोड़ा ज़्यादा मीठी बनाएँगे,
तेरे मेरे रिश्ते की मिठास हम कुछ यूँ बढ़ायेंगे ।

ईद मुबारक ……

Posted in Uncategorized

विरह…

डबडबायी आंखों को लेकर
मैं कैसे कुछ बोल दूँ?
देखो! तुम सामने न आना,
कहीं मैं फूट कर रो न दूँ…..

परेशान बहुत हूँ,
कुछ भी समझ नही आ रहा…..
ये समय क्यूँ आया?
जो तुझसे दूर ले जा रहा…..

जो दिखती नहीं तेरे मेरे दरमियाँ,
वो डोर बेहद मजबूत है…..
स्पर्श करने को तुझे,
मेरी ये दो आँखे बहुत हैं…..

जो भी बीता संग तेरे,
वो लम्हे सब याद आएँगें…..
पाने की चाहतें तो नहीं,
पर तुझे देखना जरूर चाहेंगे…..

Posted in Uncategorized

सुनो न !

सुनो न !
ये सूनसान सड़क देख रहे हो!
इस सन्नाटे को सुनो जरा,
मैं बिल्कुल ऐसा ही होता हूँ,
जब तुम पास होते हो !
बिल्कुल शांत, बेहद शांत।

इस स्याह रात में मैं,
इस मद्धम सी रोशनी में भीगता,
तुमको महसूस करता!
रुई सी छुवन को तुम्हारे,
अपनी सिहरन में कैद करता।

कितनी मुफ़ीद जगह है न ये,
हमारे मिलने के लिए!
आ जाओ टहलते हैं दोनों,
बिना कुछ बोले,
लेकर हाथों में हाथ।

दिल में उठते ख्यालों को,
हम उँगलियों से महसूस करते।
दिल की धड़कनों की कहानी,
हम चहल-कदमियोँ से बयाँ करते।
हम दोनों मुस्करा देते!

देखो आए तो हो तुम,
मगर जाने की बात न करना।
इस खूबसूरत माहौल में तुम
आज गले से लगा कर ही रखना।
समय को रोक लिया है मैने!
देखो न!
तुम भी,
ठहर जाओ न!

सुनो न…..!

~अनुनाद, १९.०५.२०२०

Posted in Uncategorized

साथी हाथ बढ़ाना…

कोई दुख में हो तो उसे सुख की आस न दें!
बस अपना साथ दें….

दिख जाए जरूरतमंद कोई अगर तो आगे बढ़कर,
बस अपना हाथ दें….

जो दिख जाए आंखों में बेबसी के आंसू, तू उन्हें,
छलकने से रोक दे….

दौर मुश्किल है तेरे लिए भी, मेरे लिए भी !
सब्र रख और समय दे….

अकेला नही है तू, लोग बहुत मिलेंगें, आगे बढ़!
अपनी सोच को आयाम दें…

सफर कठिन है और तेरे पैर कमजोर! ठान कर,
तू बस पहला कदम दे….

Posted in Uncategorized

कोरोना काल का ज्ञान…

रहने को ख़ुश दुनिया के कितने ही साधन ढूंढ़ता रहा,
खो दी शान्ति और जोड़-तोड़ गुणा-भाग ही करता रहा।

पढ़ो लिखो आगे बढ़ो ख़ूब नाम कमाओ का यहाँ मतलब सीधा था,
ख़ूब पैसा कमाना ख़ुशियाँ पाने का तरीका यहाँ बिल्कुल सीधा था।

एक उम्र बीत गयी और देखो सारा सीखा हुआ ही ग़लत था,
एक त्रासदी ने देखो हमें जीवन का मतलब सही सिखाया था।

सफ़र ज़िंदगी का लम्बा और थकाऊ तुम ध्यान रखो,
मज़ा जो लेना हो यहाँ तो साथ में सामान कम रखो।

मुट्ठी बड़ी ज़ोर की बाँधी थी पर देखो जब से है ये खुली ,
पाने से ज़्यादा ख़ुशी तो आनंद लोगों को बाँटने में मिली ।