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फैसला हो नही पाया !

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दिल की बातें थी ,
ज़ुबाँ से कह न पाए
आँखों ने की कहानी बयाँ
पर वो समझ न पाए
कशमकश में समय उड़ चला
फिर न उनका कोई पता चला
मुहब्बत की कचहरी में वो न हाज़िर हुए
न उनका कोई संदेश आया
लो उठ गयी कचहरी
और फ़ैसला हो नहीं पाया ।

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