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दिल धड़क के रह गया….

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कंचन काया चमकीली आँखें,
देखें ऐसे जैसे भीतर तक झांकें ।
चाँदी सी आभा वो न जाने कहाँ से लाए,
पड़ जाएँ जो सामने तो पलके मेरी झुक जाएँ।
वो बला की ख़ूबसूरत है क़ातिल हैं निगाहें,
वो हक़ीक़त है दिल इसे मान ही न पाए ।
सोच कर जिसे ये तन बदन सिहर सा गया,
वो यूँ आ गए सामने कि दिल धड़क के रह गया।

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