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क्या फायदा!

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अब गुस्सा करना छोड़ दिया मैने……
किस बात से फर्क पड़ता है, ये बताने से क्या फायदा!

अब कोशिशें नहीं करता मैं……
जो अपना नही है, उसे समझाने से क्या फायदा!

तीर तो कई हैं तरकश में मेरे…..
जब हारना अपनों से है, तो चलाकर क्या फायदा!

मेरी खामोशी को मेरी कमज़ोरी समझते हैं…..
खो चुके है वो मुझको, अब उन्हें बताकर भी क्या फायदा!

ये रात यूँ ही बेलज्जत बीत रही है……
उनके आने की कोई खबर नही, इंतज़ार का क्या फायदा!

जिंदगी गुजर रही है न जाने किस नशे में……
किधर जाना नही है पता, अब होश में आने का क्या फायदा!

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