Advertisements
अकेले आये थे
अकेले जाना है
ये जीवन भी हमें
अकेले ही बिताना है।
इर्द-गिर्द की भीड़ छलावा
अपना न कोई नाता है
अकेलेपन का गीत
इसीलिए तो भाता है।
खुद का साथ
खुदा का साथ
जीवन सुख में
अपना ही हाथ।
ज्ञान का अभिमान
दिखाता अज्ञान
झुककर देखा
तभी मिला सम्मान।
बन्द मत करो
चार दीवारों में
खुलकर मिलो सबसे
खुशियाँ नज़ारों में।
करते रहो बातें
जीते रहो बेमिसाल
वरना उम्र का क्या
कट जाएगा ही साल।
अकेले आये थे
अकेले ही जाना है
ये जीवन भी हमें
अकेले ही बिताना है।
©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२०.०३.२०२१