ये रात, मुलाक़ात, साथ और न जाने कहाँ-कहाँ की कितनी बात,
क़िस्से कहानियों के सिलसिले में एक बात से निकलती ढेरों बात।
चार दीवारी में चार लोगों से महफ़िल में लगते चार चाँद की बात,
चार ख़्याल, चार जज़्बात, चार मुस्कान से लोगों में चार तरह की बात॥
©️®️मुलाक़ात और बात/अनुनाद/आनन्द/२२.०१.२०२३
