उम्र के साथ तेरी यादों का बोझ ज्यूँ-२ बढ़ता गया,
इस दबाव में मैं कोयले से हीरा बनता चला गया।
©️®️हीरा/अनुनाद/आनन्द/१८.०५.२०२२

उम्र के साथ तेरी यादों का बोझ ज्यूँ-२ बढ़ता गया,
इस दबाव में मैं कोयले से हीरा बनता चला गया।
©️®️हीरा/अनुनाद/आनन्द/१८.०५.२०२२
कौन समझ सका गति उस जीवन नैया के खिवैया की,
कुछ विशेष स्नेहिल कृपा रही है हम पर गंगा मैया की,
जब भी नये सपने देखे और कोशिश की उन्हें पाने की,
सर पर आँचल की छाँव थी और थी गोद गंगा मैया की।
©️®️माँ गंगा और मैं/अनुनाद/आनन्द/१४.०५.२०२२
भरोसा हमें खुद पर बहुत था
दिल कमबख़्त बहुत मज़बूत था
लगा दिया दाँव पर खुद ही को
और बहुत कुछ खोने को न था !
©️®️दाँव/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०६.०३.२०२२
नीलिमा जी ……🌹
ये पंक्तियाँ ताज़ा-२ सिर्फ़ आप के लिए 💐
नोट- बाकी के प्रेमी युगल सुविधानुसार इन पंक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
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नींद भला कैसे आए
जब सामने तू हो !
दरिया शांत कैसे हो
जब साहिल तू हो !
सम्भालूँ कैसे हसरतों को
जब बग़ल में तू हो !
बहकना मेरा कब बुरा है
जब नशा तेरा हो !
कदम तेज कैसे रखूँ
जब सफ़र में संग तू हो !
मंज़िल किसे, क्यूँ चाहिए
जब हासिल तू हो !
फ़रवरी १४ हो या १५, क्या फर्क़
जब मोहब्बत तू हो !
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©️®️वैलेंटाइन डे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०२.२०२२
लोग कहते हैं कि दिल्ली जाने के नाम पर हम खुश बहुत होते हैं,
चेहरे पर मुस्कान संग हम अपने लिखने का शौक़ लेकर आयें हैं।
बहुत दिन से सोच रहे थे कि दिल में कोई ख़याल क्यूँ नहीं आता
दिलों के शहर में दिल की कहानी लिखने का बहाना ढूँढने आएँ हैं।
लखनऊ की नवाबी लेकर हम दिल्ली का दिल देखने आएँ हैं,
क़िस्से कहानियों में बूढ़ी दिल्ली को फिर से जवानी देने आएँ हैं।
कितनी कहानियाँ हर वक्त बनती हैं बस तुम्हें कोई खबर नहीं,
एक बस तुम हाँ कर दो तो एक नयी कहानी हम लिखने आए हैं।
©️®️दिलों की दिल्ली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १२.०२.२०२२