Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

दायरा

वो दायरा
जिससे बाहर रहकर
लोग तुमसे
बात करते हैं
मैं वो दायरा
तोड़ना चाहता हूँ
मैं तेरे इतना क़रीब
आना चाहता हूँ।

भीड़ में भी
सुन लूँ
तेरी हर बात
मैं तेरे होठों को
अपने कानों के
पास चाहता हूँ
मैं तेरे इतना क़रीब
आना चाहता हूँ।

स्पर्श से भी
काम न चले
सब सुन्न हो कुछ
महसूस न हो
तब भी तेरी धड़कन को
महसूस करना चाहता हूँ
मैं तेरे इतना क़रीब
आना चाहता हूँ।

चेहरे की सब
हरकत पढ़ लूँ
आँखों की सब
शर्म समझ लूँ
मैं तेरी साँसों से अपनी
साँसों की तकरार चाहता हूँ
मैं तेरे इतना क़रीब
आना चाहता हूँ।

दायरे सभी
ख़त्म करने को
मैं तेरा इक़रार
चाहता हूँ
हमारे प्यार को
परवान चढ़ा सकूँ
मैं तेरे इतना क़रीब
आना चाहता हूँ।

©️®️दायरा/अनुनाद/आनन्द/०५.११.२०२२

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सफ़र

दिल में एक उम्मीद जगी है फिर आज
रेलगाड़ी के सफ़र को मैं निकला हूँ आज।

एक शख़्स ने ले लिया तेरे शहर का नाम
लो बढ़ गया धड़कनों को सँभालने का काम।

इस गाड़ी के सफ़र में तेरा शहर भी तो पड़ता है
बनकर मुसाफ़िर क्यूँ चले नहीं आते हो आज।

कैसे भरोसा दिलाएँ कि ज़िद छोड़ दी अब मैंने
बस मुलाक़ात होती है रोकने की कोई बात नहीं।

दिवाली का महीना है, साफ़-सफ़ाई ज़रूरी है
क्यूँ नहीं यादों पर जमी धूल हटा देते हो आज।

धूमिल होती यादों को फिर से आओ चमका दो आज
पॉवर बढ़ गया है फिर भी बिन चश्में के देखेंगे तुझे आज।

झूठ बोलना छोड़ चुके हम अब दो टूक कहते हैं
नहीं जी पाएँगे तुम्हारे बिना ये झूठ नहीं कहेंगे आज।

तेरे यादों ने अच्छे से सँभाला हुवा है मुझे
फिर मिलेंगे ये विश्वास लेकर यहाँ तक आ गए आज।

दिल में एक उम्मीद जगी है फिर आज
रेलगाड़ी के सफ़र को मैं निकला हूँ आज।

©️®️सफ़र/अनुनाद/आनन्द/०५.१०.२०२२

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अधूरी इच्छा

तुम्हारे संग
इच्छा थी
सब कुछ
करने की !
मगर….
एक उम्र
बीतने के बाद
कोई मलाल नहीं है
कुछ न कर पाने की
तुम्हारे संग ।

और अब देखो
नहीं चाहते हम
कि हमारी
कोई भी इच्छा
जिसमें तुम हो
वो पूरी हो !

इन अधूरी इच्छाओं
को पूरा
करने की कोशिश में
तुमको मैं अपने
कुछ ज़्यादा
क़रीब पाता
और महसूस
करता हूँ।

दिमाग़ में बस
तुम होते हो
और धड़कन
तेज होती हैं!
तुम्हारे पास
होने के एहसास
भर से मैं
स्पंदित
हो उठता हूँ
और मन
आनन्द के हिलोरों
पर तैरने लगता है!

इच्छाएँ पूरी
हो जाती तो
शायद
तुमसे इश्क़
इतना सजीव
न हो पाता!
इसलिए जब भी
इन इच्छाओं को
पूरा करने का मौक़ा
मिलता है तो
दिल दुवा करता है
कि तेरे संग की
मेरी हर इच्छा
सदा रहे
अधूरी इच्छा…..!

©️®️अधूरी इच्छा/अनुनाद/आनन्द/१६.०९.२०२२

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सलीका !

कुछ इस तरह सलीके से जीने की कोशिश कर रहा हूँ
मैं अपने कमरे में हर टूटी हुई चीजें जोड़कर रख रहा हूँ।

टूटा बिखरा मेरा ये दिल है जिसको फिर से सँवार रहा हूँ
कुछ नहीं अब और टूटने को इसलिए बेख़ौफ़ चल रहा हूँ।

गँवा कर क़ीमती चीजों को दुःख तो बहुत हो रहा लेकिन
मैं अभी भी ज़िन्दा हूँ और बस इसी की ख़ुशियाँ मना रहा हूँ।

©️®️टूटा दिल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२१.१२.२०२१

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कुछ नहीं चाहिए…

मन रखने को उन्होंने सोचा कि पूछ लेना चाहिए,
इस तरह से भी हम पर एहसान कर देना चाहिए।

ऐसा नहीं था कि उनका हमारा साथ बस आज का था,
दिल की बातें थी पुरानी ये क़िस्सा नहीं आज का था।

बहुत ही अच्छे से वाक़िफ़ थे वो हमारे जज़्बातों से,
हम भी बहुत बेफ़िक्र थे हमारे लिए उनके इरादों से।

आज उनसे मिले तो हमने नज़रें थोड़ी झुकी पाईं,
चेहरे पढ़ने की कला से आज मुझे शिकायत आई।

मैंने सोचा कि मौक़े को कुछ यूँ सम्भाल लेते हैं,
कुछ माँग कर इन रिश्तों को क्यूँ ख़राब करते हैं।

मुझसे पूछ लिया उन्होंने कि बोलो आनन्द क्या चाहिए,
हम कह दिये कि आपने पूछ लिया बस और क्या चाहिए।

फिर भी रिश्तों की दुहाई दे कर बोले अमाँ कुछ तो बताइए,
हम भी मुस्कुरा कर बोले कि आप मेरे लायक जो दे पाइए।

©️®️कुछ नहीं चाहिये/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०७.२०२१