तेरा मेरा यूँ मिलना, बोलो ग़लत कैसे
ये संयोग भी ख़ुदा की मर्ज़ी से होता है
वरना अनुभव तो ये है कि दो लोगों के
लाख चाहने से भी मुलाक़ात नहीं होती ।
©️®️मिलना/अनुनाद/आनन्द/२२.०९.२०२२

तेरा मेरा यूँ मिलना, बोलो ग़लत कैसे
ये संयोग भी ख़ुदा की मर्ज़ी से होता है
वरना अनुभव तो ये है कि दो लोगों के
लाख चाहने से भी मुलाक़ात नहीं होती ।
©️®️मिलना/अनुनाद/आनन्द/२२.०९.२०२२
कुछ लोग
विनम्र होते हैं
इसलिए वे
सबके सामने
झुकते हैं …!
इसी विनम्रता
के कारण
वे पहुँचते हैं
ऊँचाई पर …!
फिर वे
केवल झुकते हैं
विनम्र नहीं
रहते …!
©️®️ विनम्र/अनुनाद/आनन्द/१९.०९.२०२२
तुम्हारे संग
इच्छा थी
सब कुछ
करने की !
मगर….
एक उम्र
बीतने के बाद
कोई मलाल नहीं है
कुछ न कर पाने की
तुम्हारे संग ।
और अब देखो
नहीं चाहते हम
कि हमारी
कोई भी इच्छा
जिसमें तुम हो
वो पूरी हो !
इन अधूरी इच्छाओं
को पूरा
करने की कोशिश में
तुमको मैं अपने
कुछ ज़्यादा
क़रीब पाता
और महसूस
करता हूँ।
दिमाग़ में बस
तुम होते हो
और धड़कन
तेज होती हैं!
तुम्हारे पास
होने के एहसास
भर से मैं
स्पंदित
हो उठता हूँ
और मन
आनन्द के हिलोरों
पर तैरने लगता है!
इच्छाएँ पूरी
हो जाती तो
शायद
तुमसे इश्क़
इतना सजीव
न हो पाता!
इसलिए जब भी
इन इच्छाओं को
पूरा करने का मौक़ा
मिलता है तो
दिल दुवा करता है
कि तेरे संग की
मेरी हर इच्छा
सदा रहे
अधूरी इच्छा…..!
©️®️अधूरी इच्छा/अनुनाद/आनन्द/१६.०९.२०२२
तुम्हारा मेरी जिंदगी में होना तो बस यूँ है कि अब तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। बिलकुल वैसे ही जैसे कलाई पर कलावा या घड़ी, गले में माला, माथे पर तिलक, रक्त-चाप की दवा, जेब में मोबाइल और ऐसी ही कई चीजें। इतनी आदत हो गयी है तुम्हारी कि तुम अब दिखते तो हो पर महसूस नहीं होते। तुम हो , अगल-बगल में ही हो, नहीं भी हो तो दिल और दिमाग में हो, मगर हो।
तुम्हारा मेरे साथ इतना होना कि तुम्हारे न होने की कल्पना भी कर पाना मुश्किल है। तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं लेकिन तुम्हारे न होने से बहुत फर्क पड़ता है। कुछ अटपटा सा लगता है। जैसे कि कुछ तो मिसिंग है। जो होना चाहिए मगर है नहीं। दिन भर खोये से रहते हैं और किसी काम में मन नहीं लगता।
तुम्हारे साथ की आदत इतनी लग चुकी है कि तुम्हें भूल सा गए हैं। तुम साथ नहीं होते हो तो कुछ कम सा तो जरूर लगता है लेकिन तुम ही साथ नहीं हो, ये दिमाग में ही नहीं आता। बस कुछ कमी महसूस होती है। जैसे हाथ घडी लगाना भूल जाना या रक्त-चाप की दवा का न लेना इत्यादि…..
तुम अब हिस्सा हो मेरा, मेरी जिंदगी का। मेरी आदतों में हो। दैनिक दिनचर्या हो तुम। इतने पास हो कि आँखों से नहीं दिखते और शायद महसूस भी नहीं होते किन्तु न होने पर बेचैनी सी होती है। कुल मिलाकर तुम मुझमें समा गए हो। तुम्हारे बिना मैं का अब कोई अस्तित्व ही नहीं।
अगर तुमसे बात न हो….
शिकायत भी न हो…..
मिलने की कोशिशें न हों…..
या फिर दुनियादारी की नज़रों में जितनी भी जरुरी हरकतें जो एक रिश्ते को निभाने के लिए हों, वो न हों…..
तो तुम परेशान न होना !
अब कोई खुद से भी कैसे दुनियादारी करे?
क्यों ! समझ रहे न हो मुझे?
कैसे समझोगे?
तुम भी तो उसी स्थिति में हो न ! जिस स्थिति में मैं हूँ।
मेरे होने से अब तुम्हीं भी तो कोई फर्क नहीं पड़ता होगा न 😉💖
ⒸⓇतुम्हारा होना/अनुनाद/आनन्द/२३.०८.२०२२
आज के दौर में
दिन कहाँ अपने
अपनी तो बस
अब रात होती है।
बस व्यस्त काम में
खोए हैं सारे जज़्बात
इस सब में दिल की
कहाँ बात होती है।
कभी गलती से ख़ाली
जो मिल जाएँ कुछ पल
इन ख़ाली पलों में भी बस
काम की बात होती है।
आगे बढ़ने की दौड़ में
ठहरना भूल गए हम
मिलना-जुलना खाना-पीना
अब कहाँ ऐसी शाम होती है।
कुछ रिश्ते थे अपने
कुछ दोस्त सुकून के
घण्टों ख़ाली संग बैठने को अब
ऐसी बेकार कहाँ बात होती है।
आज के दौर में
दिन कहाँ अपने
अपनी तो बस
अब रात होती है।
©️®️दिन कहाँ अपने/अनुनाद/आनन्द/१२.०८.२०२२