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दिल और दुनियादारी

दिल और दुनियादारी
कितनी आसानी से लोग यहाँ दूसरों की गलती बता देते हैं,
जो ख्वाहिशों को जी गया, आनन्द बताओ वो गलत कैसे?

जिंदगी सफर है, मंजिल नहीं, सिर्फ आगे बढ़ना क्यूँ?
यहाँ रुकना भी जायज, चलना भी और पीछे मुड़ना भी!

सफर में साथ हो तो उम्मीदें लग ही जाती है मुसाफिर से,
यहाँ अपना भरोसा नहीं तो दूसरों पर बाजी क्या खेलना।

जीना है अगर सलीके से दुनिया में तो बस दिमाग रखिये,
दिल वाले न माने कोई नियम, तभी तो क़त्ल किये जाते हैं।

जो पकड़े गए चोर, जिसने कुबूल लिया वो मुजरिम लेकिन
सही बताओ जो बच गए वो क्या मुझसे नज़रें मिला पाएँगे।

नहीं आते समझ में मुझे इस दुनिया के कायदे कोई आनन्द,
दिल को इच्छाओं का कब्रगाह बनाना आखिर कहाँ तक ठीक है?

कितनी आसानी से लोग यहाँ दूसरों की गलती बता देते हैं,
जो ख्वाहिशों को जी गया, आनन्द बताओ वो गलत कैसे?

©️®️दिल और दुनियादारी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०८.२०२१

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मतलबी

एक गलती हमसे बस यही हुई थी न….
तेरी मुस्कान को मासूम समझ बैठे थे न!

कहाँ पता था कि चेहरे पे चेहरे होते हज़ार न….
एक बहरूपिये को हम अपना दिल दे बैठे थे न!

तुम मतलबी थे हिसाब-किताब के बड़े पक्के थे न….
तुम्हारी बनावटी चाहत को हम प्यार समझ बैठे थे न!

भूल गए थे तुम कि कभी-२ बारिश भी होती है न….
रंगे सियार का रंग कच्चा, देखो उतरता भी तो है न!

एक सीख मिली कि दुनिया बस मतलब की है न….
क्या करते कि इस दुनिया से परे तुम भी तो नहीं न!

©️®️मतलबी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२५.०७.२०२१