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काम और छुट्टियाँ

छुटियाँ कितनी होनी चाहियें, इस पर पुनः विचार करने की जरूरत है। मेरे अनुसार सप्ताह में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी होनी चाहिए। अब आप सोच रहें होंगे कि अब काम ही काहे करोगे , पूरी छुट्टी ही ले लो। ऐसा नहीं है। एक व्यक्ति की ज़िंदगी में कार्य के अलावा भी और कई ज़िम्मेदारियाँ होती है। जैसे पारिवारिक, सामाजिक, और स्वयं अपने लिए भी कुछ समय होना जरूरी है।

चार दिन आदमी १०-१२ घंटे प्रत्येक दिन कार्य कर सकता है। मन लगाकर, जी तोड़कर। उसके बाद तीन दिन की छुट्टी में एक दिन व्यक्ति समाज के लिए रख ले। इसमें मित्र, रिश्ते-नाते, सामाजिक/राजनीतिक संगठनों से मिलना मिलना किया जा सकता है। दूसरा दिन परिवार के लिये। इसमें परिवार के साथ घर पर या बाहर जाया जा सकता है। परिवार के किस सदस्य के मन में क्या चल रहा है या फिर किस परिस्थिति से गुज़र रहा है ये सब समय देने से ही पता चलेगा। इससे आप परिवार को एक बेहतर आकर प्रदान कर सकते हैं।

और अब तीसरा दिन! पूरा का पूरा अपना। किसी से मतलब नहीं। सारा दिन स्वयं की तैयारियों में। अगले हफ्ते सात दिनों में क्या पहनना है! कपड़ों को तैयार करना! चेहरा और शरीर पर ध्यान देना! तेज आवाज में गाने सुनना, मूवी देखना, किताब पढ़ना, खाना बनाना, अपनी गाड़ी को व्यवस्थित करना, खूब सोना, और फिर रात में अगले दिन ऑफिस की तैयारी। मुझे पता है कि आप इससे सहमत होंगे। अब भला बताइए एक दिन की छुट्टी में कुछ होता है। पूरा दिन तो अगले हफ्ते की तैयारियों में ही निकल जाता है। जितना व्यक्ति पिछले छह दिनों में काम करके नहीं थकता उतना वह एक दिन की छुट्टी में थक जाता है। हें नहीं तो!

इस पोस्ट को हल्के में मत लीजियेगा। यदि कोई नीति नियन्ता इस पोस्ट से होकर गुजर रहें हो तो उनसे दण्डवत लेटकर अनुरोध है कि इस पर विचार कर लें। मेरी दुवा लगेगी।

क्या तीन दिन की छुट्टी ज्यादा है? अच्छा? कोई न! तीन न सही तो दो दिन की ही दे दीजियेगा! वो ऐसा है ना कि हम पहले ही सोच लिए थे कि तीन मांगेंगे तो दो मिलेगा! एक दिन हम भैया की साली से मिलने के लिए मांग लिए थे 😉 हमारा तो समाज वहीं हैं।😜

नोट:-छुट्टी नहीं भी मिलेगी तो हम क्या ही उखाड़ लेंगे! काम में लापरवाही तो हर कर्मचारी अपना हक तो समझता ही है और हमारे देश में नौकरी भी वही ढूंढी जाती है जिसमे काम कम हो या बिल्कुल न हो।😎😁

अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०९.१२.२०२०

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गाँव और शहर

वाइ-फाइ, कॉल्स, घण्टों और मिनटों की चहारदीवारी में कैद होने आया हूँ,
आज मैं अपने गाँव से फिर शहर को लौट आया हूँ।

villagelife

metrocity

Lucknow

endofvacation

workstarted

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शिकायतें….. जीवन से!

ये सूरज सुर्ख लाल है बिल्कुल मेरी तरह लगता है,
इस ढलती शाम से बेहद नाराज लगता है।

कितना कुछ दिया है ऐ जिन्दगी तूने जीने को,
कितना कुछ रोज रह जाता है मेरे समेटने को!

तू ही बता ऐ नींद कैसे गले लगा लूँ तुझे मैं,
मंजिल को दो कदम ही बढ़ा था और रात हो गई।

तेरे साथ की खुशबू से सराबोर महक रहा हूँ इस कदर,
कि इत्र के सौदागर थे और हम अपना सारा कारोबार भूल गए।

साथ होते हो तो दूर जाने का डर लगा रहता है, तुम्हें पता था!
ख़त्म करने को मेरा डर इतनी भी दूर जाने की क्या ज़रूरत थी?

एक मुलाकात को देखो कितने दिन पलों में बीत गए,
चेहरा तेरा देखने को कमबख़्त ये पलकें झपकना भूल गए।

खोकर ख़्वाबों को हमने इतनी सी उम्र में बस यही सीखा है ,
पछतावा कोई नहीं अब बस उन ख़्वाबों की यादों में जीना है।

एक सीख है जो तू दे गया मुझे, अब ताउम्र साथ रहेगी,
होशियार था तू, तुझे पता था कि ये साथ उम्र भर का नहीं।

राह ताकते रहे कि दिल के इस घरौंदे में तुम लौट आओगे एक दिन,
लो शाम ढल गई इंतजार में और हम राह में दिया जलाना भूल गए।

ये सूरज सुर्ख लाल है बिल्कुल मेरी तरह लगता है,
इस ढलती शाम से बेहद नाराज लगता है।

©अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२५.११.२०२०

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घर गृहस्थी 🤗

घर गृहस्थी में फँसा इंजीनियर तब तक इंजीनियर नहीं होता जब तक वो कुकर का हैंडल न लगा ले या फिर पंखे का कंडेंसर न बदल ले! 😎 और हद तो तब है जब उस इंजीनियर को इन कामों को करने के बाद मिलने वाली तारीफ में इतनी खुशी मिलती है जितनी उसे किसी एग्जाम को क्लियर करके भी न मिली हो!😅

यदि आप भी खुशी के इसी स्तर पर हैं तो आप घर गृहस्थी के इस भँवर में फंस चुके हैं और आपका डूबना तय है। घबराइए मत! यहाँ डूबने पर संतोष मिलेगा जिसकी खोज में न जाने कितने साधु/महात्मा दिन रात ध्यान साधना में लगे हुए हैं और आपको इसके लिए दो पेंच ही टाइट करने हैं बस! 🙄🤗

वैधानिक चेतावनी- दोबारा पहले वाला इंजीनियर बनने की कोशिश मत करियेगा। घर पर तो कदापि नहीं😋

अपने मुँह मिट्ठू:- काम की सफाई देखकर लगता है कि खाक कोई मेकैनिक ये काम इतना फाइन और टिकाऊ कर पाता। भले ही हमने इसमें घंटो लिए हों। समय मायने नहीं रखता, परफेक्शन करता है। हुँह…… हाँ नहीं तो!

नोट:- अगर आप इंजीनियर नहीं है तो इंजीनियर शब्द के स्थान पर अपनी प्रोफाइल लगा लें। अच्छा लगेगा। लेकिन इंजीनियर होते तो ज्यादा खुशी मिलती 😁😆

©अनुनाद/ इंजीनियर आनन्द😎/१५.११.२०२०