शख़्श एक, भाव कई, शब्द अनेक,शब्दों से बुनते जाल में फँसा कवि एक।
क्रोध मोह लोभ, दिल के शिकारी कई,भावों का चारा देखकर, होते शिकार कई।
©️®️ अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१२.०२.२०२१

शख़्श एक, भाव कई, शब्द अनेक,शब्दों से बुनते जाल में फँसा कवि एक।
क्रोध मोह लोभ, दिल के शिकारी कई,भावों का चारा देखकर, होते शिकार कई।
©️®️ अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१२.०२.२०२१