Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

आदत नहीं गई…!

माना कि तुझको पा लिया है हमने मगर,
महफ़िल में तुझे ढूढने की आदत नहीं गई।

सोचा था कि देखने से ही प्यास बुझेगी मगर,
कुछ देर साथ बिताने से भी बेचैनियाँ नहीं गई।

क्या गज़ब का मिराज है तू और तेरा हुस्न,
तेरे बहुत पास पहुँचने से भी ये दूरियाँ नहीं गई।

तेरे साथ की ठंडक के बारे में बहुत सुना है मगर,
दिल में लगी है जो अगन तेरे छूने से भी न गई।

लोग कहते हैं कि मुझको अल्लाह की इबादत कर,
मेरे लबों को सुबह-शाम तेरा नाम लेने की आदत न गई।

हुस्नो की बारात है देखो मेरे चारों तरफ मगर,
दुल्हन से तेरे चेहरे से मेरी नज़र कहीं और न गई।

माना कि तुझको पा लिया है हमने मगर,
महफ़िल में आनन्द तुझे ढूढने की आदत नहीं गई।

©®आदत नहीं गई/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०१.०७.२०२१

Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

ज़िन्दगी में कभी लॉकडाउन नहीं होता…

साँसे तो हमें रोज लेनी है
भूख भी रोज ही लगनी है
सच है कि साँस उखड़ने से पहले
ज़िन्दगी में कभी लॉकडाउन नहीं होता…

मेहनत रोज ही करनी है
रोटी भी रोज कमानी है
उन्हें चलाने हैं फावड़े, कन्नी और बँसुली
मजदूरों की ज़िन्दगी में लॉकडाउन नहीं होता…

नदिया रोज है बहती
हवा भी रोज है चलती
करने को दिन-रात सूरज-चाँद रोज निकलते
इस प्रकृति के चक्र का लॉकडाउन नहीं होता…

रसोई रोज लगती है
थालियाँ रोज सजती है
रखने को ख्याल वो दिन भर लगी रहती
माँ की ज़िन्दगी में लॉकडाउन नहीं होता…

जीवन का नाम हैं चलने का
नहीं रुकने का नहीं ठहरने का
दौर मुश्किल, जरूरत है समझने की
इन दूरियों से नजदीकियों का लॉकडाउन नहीं होता…

तुम एक पल को बैठ सकते हो
अपने घर में रुक भी सकते हो
जिन्हें जरूरी है निकलना उनको मौका दो
आवश्यक सेवाओं का कभी लॉकडाउन नहीं होता…

प्रगति ने एक एक दौड़ शुरू की है
न चाहते हुए हमने दौड़ जारी रखी है
मौका मिला है रुक कर साँस लेने को
मुड़कर देखने को समय में लॉकडाउन नहीं होता…

किस्मत हमारी कितनी न्यारी है
शब्दों और कलम से हमारी यारी है
लिखना-पढ़ना ही है जीविका हमारी
घर बैठ काम करने को सबको लॉकडाउन नहीं मिलता…

©️®️लॉकडाउन/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०२.०५.२०२१

फोटू: साभार इंटरनेट

Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

होम आइसोलेशन…

‘प्रेम साथ रहा तो बस जुदाई का डर लिए।
प्रेम वास्तव में तो सदा जुदाई में गए जिए।।”

इन पंक्तियों को अकेले में बैठकर हज़ार बार पढ़िए! गहरे डूब जायेंगे! जिन्होंने प्यार किया है वे एक बार में समझ जायेंगे…..उन्हें डूबने की जरूरत नहीं है, डूबे तो वे पहले से ही हैं… इनका कुछ नहीं हो सकता😜

अटैच फोटो को देखिए। दो दिन से होम आइसोलेशन में हूँ और मेरे सरकारी घर के इस कमरे से इस तरह का नज़ारा मिल रहा है। BHU के हॉस्टल के कमरे की याद आ गयी……
दोपहर में भर पेट छोला चावल खाकर लकड़ी के तख्त पर हल्का मोटा बिछावन, बगल में एक मसनद और सिराहने बाईं तरफ टेबल पर लैपटॉप पर गज़ल ……… बस हल्की पीली भागलपुरी चादर ओढ़ मस्त अजगर हुए जा रहे हैं हम!खिड़की से बाहर झाँके जा रहे हैं हम! सुख तो यही है बस! इससे ज्यादा इस दुनिया में ईश्वर से और क्या ही माँगूं! धरा पर इस समय कहीं स्वर्ग है तो इसी फोटू वाले कमरे में है।

गाना भी खूब बज उठा है …. लग जा गले की फिर कभी मुलाकात हो न हो…..( एक धीमी स्वर लहरी में महसूस कीजिये)। आहा……

एक चाय की तलब लग रही है… लिम्बड़ी कार्नर वाली… BHU के मित्रों के साथ …भर दुपहरी में… आम के पेड़ के नीचे बैठ….

घबराइये मत ! कुछ हुआ नहीं है! सिर्फ सावधानी बरत रहे हैं और अपनों की सुरक्षा की खातिर खुद को आइसोलेट कर रखा है।

बाकी सब ठीक है!

©️®️आइसोलेशन/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१६.०४.२०२१