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बचपना…!

ऐ उम्र मुझे इतना भी बड़ा न बनाना कि
अपनों के सामने आऊँ और झुक न पाऊँ।
मुझे रहने देना वही छोटा सा बच्चा कि
माँ की गोद में सर रखूँ और सो जाऊँ।।

©️®️बचपना/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३१.०५.२०२१