Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

मुश्किल

बड़ा मुश्किल है इस दौर में
जहाँ हो, वहीं पर रहना…
एक वयस्क होकर भीड़ में
बच्चों सा दिल रखना।

बड़ा मुश्किल है राजनीति में
किसी से भी याराना…
जीतने की दौड़ में भला
कहाँ मुमकिन है साथ चल पाना।

बड़ा मुश्किल है संग तेरे मेरा
खुद को बहकने से बचाना…
दूर होकर भी तुझसे मेरा
खुद को तनहा रखना।

बड़ा मुश्किल है इच्छाओं को
गलत सही के चक्कर में दबाना…
जलराशि खतरे से ज्यादा हो तो
लाजमी है बाँध का ढह जाना।

बड़ा मुश्किल है सच्चे दिल से
किसी सच को छुपाना…
चेहरा झूठ बोल भी दे तो
आँखों से नही हो पाता निभाना।

बड़ा मुश्किल है लोगों से
ये रिश्ता देर तक छिपाना…
दिल जलों के मोहल्ले में
मुश्किल है आँखें चुराना।

मैं जो दिल की बात कर दूँ
तो नाराज न हो जाना…
ये तो हक़ है तेरा बोलो
तुमसे क्या ही छुपाना।

बड़ा मुश्किल है तुझको
छोड़कर मुझे जाना…
उसके लिए जरूरी है
हाथों में हाथों का होना।

बड़ा मुश्किल है आनन्द
अनुनाद में रह पाना…
दुनियादारी निभाने में
दिल-दिमाग का एक हो पाना।

©®मुश्किल/अनुनाद/आनन्द/१८.११.२०२२

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काशी

कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो
कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !
मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन
सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।

बीएचयू कैम्पस, लिंबड़ी कॉर्नर और अस्सी
समय बीता मेरा वीटी और सेंट्रल लाइब्रेरी,
सी वी रमन, मोर्वी और लिंबड़ी ख़ूबसूरत
पर खाना ग़ज़ब जहाँ वो धनराज गिरी।

वो मशीन लैब वो ढेर सारे प्रैक्टिकल
हाई वोल्ट सर्किट के बीच मज़ाक़ के पल
पढ़ने लिखने का मज़ा था या दोस्तों के संग का
सब भूल गए पर भुला पाते नहीं वो पल!

नशा काशी का था या गोदौलिया की ठंडाई का
ठंड दिल को जो मिली वो गंगा पार की रेत का
गंगा आरती के अनुनाद से जो उपजा मुझमें आनन्द
कृपा भोले बाबा की तो आशीर्वाद संकट मोचन का।

कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो
कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !
मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन
सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।

©️®️काशी/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२