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तेरा अक्स ……..

तेरी माँ पहले भी परियों सी ख़ूबसूरत थी,
उसके सिवा मुझे कोई और हसरत न थी,
ये मेरी नज़रों का दोष है कि उसका कोई जादू ,
या उसने अपनी सूरत पर तेरी शक्ल ओढ़ ली है!

ज्यूँ ज्यूँ तेरी उम्र बढ़ रही है उसके भीतर,
त्युँ त्युँ वो अपने सभी रंग बदल रही है,
हूँ मैं अचम्भित देखकर उसके हुस्न की ये झलकियाँ,
ये वही है या उसने तेरी सारी अदाएँ ओढ़ ली हैं!

अभी तक वो मेरा प्यार मेरी ख़्वाहिश मेरी ख़ुशी थी,
मेरा जिस्म था एक पुतला और वो ज़िंदगी थी,
तुझसे पहले मेरे लिए वो स्वयं एक स्वतंत्र पहचान थी,
पर पिछले कुछ दिनों से उसने हमारे बच्चे के माँ के नाम की संज्ञा ओढ़ ली है !

यूँ तो उसका असर मुझ पर कभी कम न था,
फिर भी हिम्मत कर हम उससे लड़-झगड़ लेते थे,
किंतु बचता हूँ मैं अब नहीं कर पाता उससे सामना,
उसने अपने साथ तेरे संगत की चादर जो ओढ़ ली है !

तासीर हैं मेरी मस्तमौला और है लड़कों की फितरत,
करता हूँ ग़लतियाँ हमेशा है ग़ैर ज़िम्मेदाराना प्रकृति,
पर अब बदलना है खुदको लेनी है जिम्मेदारियाँ सभी,
क्यूँकि तेरी माँ ने मुझे बाप बनाने की ज़िम्मेदारी जो ओढ़ ली हैं!

विचारों के भव सागर में डूबता-उतराता हुआ, तेरे इन्तजार में- तुम्हारा पिता

Author:

Writer, cook, blogger, and photographer...... yesssss okkkkkk I am an Engineer too :)👨‍🎓 M.tech in machine and drives. 🖥 I love machines, they run the world. Specialist in linear induction machine. Alumni of IIT BHU, Varanasi. I love Varanasi. Kashi nahi to main bhi nahi. Published two poetry book - Darpan and Hamsafar. 📚 Part of thre anthologies- Axile of thoughts, Aath dham assi and Endless shore. 📖 Pursuing MA Hindi (literature). ✍️ Living in lucknow. Native of Ayodhya. anunaadak.com, anandkanaujiya.blogspot.com

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