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नज़रों के शामियाने में…..

बड़ी बारीकी से मेरे चेहरे की बारीकियाँ सभी पढ़ लेती हैं,
न जाने तुम्हारी नज़रें किस नज़र से मुझको देखती हैं।

इन आँखों की आरज़ू है कि सामने इनके, बस चेहरा तेरा हो,
नामुराद इन आँखों की प्यास अब बुझाये नहीं  बुझती हैं।

सामने होते हो तो दिल की हसरतों को, सुक़ूं बहुत मिलता है,
कमबख़्त पलकें भी झपकती हैं तो ग़ुस्सा बहुत आता है ।

मेरी नज़र की शैतानियाँ पढ़कर, तुम जो ये नज़रें झुका लेती हो,
क़सम से तेरी ये अदा मुझे क़त्ल बहुत करती है।

कई शरीफ़जादों की नज़रों को ग़ुस्ताख़ होते देखा है,
तेरे शोख़ रुख़्शारों का आफ़ताब माशा-अल्लाह, तुम्हें नहीं पता ये गुनहगार बहुत है।

खिल-खिलाकर जब कभी तुम नज़रों से मुझको छेड़ देते हो,
ख़ुदा क़सम तेरी इन बेशर्म नज़रों से मुझमें गुदगुदी बहुत होती है।

नज़रों को नज़रों से मिलने के इंतज़ार में, ये नजरें बेसब्र बड़ी रहती हैं,
दरमियाँ इन नज़रों के कोई आए तो उससे नफरत बहुत होती है।

कटती नहीं घड़ियाँ, तुझसे मिलने का इंतजार जब होता है,
मिलते ही तुझसे घड़ी की हर टिक-टिक से शिकायत बहुत होती है।

Author:

Writer, cook, blogger, and photographer...... yesssss okkkkkk I am an Engineer too :)👨‍🎓 M.tech in machine and drives. 🖥 I love machines, they run the world. Specialist in linear induction machine. Alumni of IIT BHU, Varanasi. I love Varanasi. Kashi nahi to main bhi nahi. Published two poetry book - Darpan and Hamsafar. 📚 Part of thre anthologies- Axile of thoughts, Aath dham assi and Endless shore. 📖 Pursuing MA Hindi (literature). ✍️ Living in lucknow. Native of Ayodhya. anunaadak.com, anandkanaujiya.blogspot.com

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