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कोई ख्वाहिश नहीं।

कोई ख्याल नहीं, कोई काम नहीं,
दिल बेहद शांत, मगर आराम नहीं।

सोचूँ, याद करूँ, ध्यान भी लगाऊँ,
प्रश्न बहुत लेकिन उत्तर एक न पाऊँ।

खुश-नाखुश से अब बहुत ऊपर हूँ,
यूँ ही मुस्कुराऊँ, मैं क्या नशे में हूँ?

इतना भी क्यों पा लेना कि ख्वाहिश न रहे,
जितना पाऊँ उतना ही खोने का डर जकड़े।

मेरी साँसों में वो रूहानी खुशबू आज भी है,
दिल के शहर को तेरा इंतज़ार आज भी है।

अब मिलने में क्या रखा है अब ये चाहत नहीं,
तेरा कोई नाम भी ले तो उसे गले से लगाऊँ।

इश्क जब परवान चढ़ जाए तो क्या बताऊँ,
जो मेरे भीतर है उसे अब औरों से क्या बचाऊँ।

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कोरोना काल में प्यार!

सुनो न !
लॉकडाउन में बाहर आना जाना मना है…..
ख्यालों में तो नहीं न ?

सुनो न !
ये आरोग्य सेतु दिल के बीमारों की जानकारी देता है क्या?
तुम डाउनलोड कर लो न……

सुनो न !
हमारे शहर में एक ही क्वारनटीन सेन्टर है न …….
मिलना चाहोगे मुझसे?

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बारिश और तुम …

ये बारिश तुम सी बरसती है!
कभी भी….
मैं निहारता रहता इसको लगातार,
जैसे भीगे बालों में सामने तुम हो!

ये बारिश शोर करती है!
बहुत ज्यादा ….
मैं खामोश सुनता रहता इसको ध्यान से,
जैसे गुस्से में आंख मूँदकर हाथ पैर झटकती तुम हो!

तुम्हारे साथ का एहसास सा होता!
ठहरना….
जरा देर तक बरसना,
अच्छा लग रहा है….
बहुत ही अच्छा लग रहा है।

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शहीदों के नाम …

आँखे नम है मगर जिगर में आग बरक़रार है,
दिखाने को दहाड़ बस मौक़े की दरकार है,
मौत का डर नही, हाँ हम माँ भारती के लाल हैं,
शहादत चुनी हमने हमें अपने वतन से प्यार है ।

देश के आगे हम कुछ नही समर्पित इस पर प्राण हैं,
ऐ आसमान तू देख तुझसे ऊँची आज हमारी शान है,
जिस माँ ने जन्म दिया हम आज उसी गोद में लेटे हैं,
हैं आँखें बंद हमारी मगर चेहरे पर हमारी मुस्कान है।

दूर कहीं गए नहीं हम मौजूद अब हर फ़ौजी के दिल में हैं,
पैदा होंगे हज़ारों वीर आज हमने वीरता का बीज बोया है,
बहा कर खून अपना रंगा है आज धरती माँ के आँचल को,
रहे ख़ुशहाल ये देश सदा इसीलिए हमने प्राणों को खोया है।