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कोरोना काल का ज्ञान…

रहने को ख़ुश दुनिया के कितने ही साधन ढूंढ़ता रहा,
खो दी शान्ति और जोड़-तोड़ गुणा-भाग ही करता रहा।

पढ़ो लिखो आगे बढ़ो ख़ूब नाम कमाओ का यहाँ मतलब सीधा था,
ख़ूब पैसा कमाना ख़ुशियाँ पाने का तरीका यहाँ बिल्कुल सीधा था।

एक उम्र बीत गयी और देखो सारा सीखा हुआ ही ग़लत था,
एक त्रासदी ने देखो हमें जीवन का मतलब सही सिखाया था।

सफ़र ज़िंदगी का लम्बा और थकाऊ तुम ध्यान रखो,
मज़ा जो लेना हो यहाँ तो साथ में सामान कम रखो।

मुट्ठी बड़ी ज़ोर की बाँधी थी पर देखो जब से है ये खुली ,
पाने से ज़्यादा ख़ुशी तो आनंद लोगों को बाँटने में मिली ।

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कोई ख्वाहिश नहीं।

कोई ख्याल नहीं, कोई काम नहीं,
दिल बेहद शांत, मगर आराम नहीं।

सोचूँ, याद करूँ, ध्यान भी लगाऊँ,
प्रश्न बहुत लेकिन उत्तर एक न पाऊँ।

खुश-नाखुश से अब बहुत ऊपर हूँ,
यूँ ही मुस्कुराऊँ, मैं क्या नशे में हूँ?

इतना भी क्यों पा लेना कि ख्वाहिश न रहे,
जितना पाऊँ उतना ही खोने का डर जकड़े।

मेरी साँसों में वो रूहानी खुशबू आज भी है,
दिल के शहर को तेरा इंतज़ार आज भी है।

अब मिलने में क्या रखा है अब ये चाहत नहीं,
तेरा कोई नाम भी ले तो उसे गले से लगाऊँ।

इश्क जब परवान चढ़ जाए तो क्या बताऊँ,
जो मेरे भीतर है उसे अब औरों से क्या बचाऊँ।

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कोरोना काल में प्यार!

सुनो न !
लॉकडाउन में बाहर आना जाना मना है…..
ख्यालों में तो नहीं न ?

सुनो न !
ये आरोग्य सेतु दिल के बीमारों की जानकारी देता है क्या?
तुम डाउनलोड कर लो न……

सुनो न !
हमारे शहर में एक ही क्वारनटीन सेन्टर है न …….
मिलना चाहोगे मुझसे?