Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK), SHORT STORY

बचत!

कोरोना काल में जीने को क्या जरूरी है और कितना जरूरी है, ये जानने को मौका मिला। प्रवासी मजदूरों की हालत देखकर पैसे और संसाधनों की कीमत समझ आई। अपने को कहीं अधिक बेहतर स्थिति में पाया। अब ये सोच लिया कि जरूरतें कम करनी हैं और समाज के लिए अधिक जीना है। जीवन के लिए जरूरी चीजों के अलावा कोई और खरीददारी नहीं।

घर में दो जोड़ी चप्पल टूटी पड़ी थीं। बहुत दिन से कष्ट हो रहा था। जब जरूरत हो तो टूटी चप्पल सामने। ये चप्पलें घर के भीतर पहनने वालीं थी तो इतने दिन काम चल गया। लेकिन जरूरत तो पड़ती ही थी। क्या करें? नई ले ली जाए? लेकिन क्यों? एक जोड़ी कम से कम 250 रुपये की तो पड़ेगी ही। दो जोड़ी के 500। न, क्यों पैसे बर्बाद किये जायें! फिर काम कैसे चले 🤔। मन में मोची के पास जाने का ख्याल आया। लेकिन अजीब लग रहा था कि इतनी मॅहगी चप्पल तो है नही जिसे मरम्मत कराकर सही कराई जाए😑।

फिलहाल मन को साधा गया और चप्पलों को समेटकर एक थैले में। सुबह ऑफिस निकलते वक्त गाड़ी में रख लिए। और फिर क्या, यदि आप किसी अच्छे काम के लिए निकलो तो मुराद पूरी हो जाती है। वो ऐसा है कि ढूढने से भगवान भी मिलता है। तो मुझे भी मिल गया-मोची। बिल्कुल भगवान स्वरूप। झट से चप्पल बढ़ाई और पट से काम हो गया। 70 रुपये में काम चौकस। सीन चौड़ा हो गया। 430 रुपये बच गए। मानो किला जीत लिया हो। गर्व की अनुभूति के साथ गाड़ी में बैठे और घर। सीढियाँ दौड़ कर चढ़ीं और डोर बेल बजायी। दरवाजा खुला और हम मारे खुशी के चौड़े होकर बोले- काम हो गया, बच गए पैसे। बीवी ने एक तिरछी निगाह से हेय दृष्टि से देखा और मुँह बनाकर छोटे वाले बच्चे को लेकर बाथरूम की ओर चल दी। कुछ पूछा भी नही कि क्या हुआ। सारी हवा मिनटों में निकल गयी और खुशी छू मंतर।

एक आदमी अच्छा काम केवल दिखावे के लिए करता है और उसके बदले तारीफ की उम्मीद करता है। उसके लिए अच्छा काम करके मिलने वाली खुशी से ज्यादा उस काम की तारीफ से मिलने वाली खुशी ज्यादा मायने रखती है😉। और वो मुझे यहां मिलने से रही😑। मैंने भी चप्पल वाला थैला एक किनारे रख दिया और खुशी को गुस्से में बदलकर कोरोना काल के नित्य कर्म में लग गया। चप्पल फिर टूटेगी, फिर बनेगी लेकिन जान है तो जहान हैं। नीचे फोटू वाले भैया को सादर प्रणाम, हमाये पैसे जो बचाये इन्होंने😎।

~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२४.०६.२०२०

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Writer, cook, blogger, and photographer...... yesssss okkkkkk I am an Engineer too :)👨‍🎓 M.tech in machine and drives. 🖥 I love machines, they run the world. Specialist in linear induction machine. Alumni of IIT BHU, Varanasi. I love Varanasi. Kashi nahi to main bhi nahi. Published two poetry book - Darpan and Hamsafar. 📚 Part of thre anthologies- Axile of thoughts, Aath dham assi and Endless shore. 📖 Pursuing MA Hindi (literature). ✍️ Living in lucknow. Native of Ayodhya. anunaadak.com, anandkanaujiya.blogspot.com

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