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मर्ज़ और इलाज

वो बस हमसे हमारा मर्ज़ पूछते रहे…
काश ! वो हमारा इलाज पूछ लेते ।

लोग बाग कुछ न कुछ लेकर आ रहे…
काश ! वो बस ख़ाली हाथ चले आते ।

लोग हमारी बेहतरी की दुवाएँ माँग रहे…
काश ! वो बस दुवा में हमें माँग लेते ।

वो बस हमसे हमारा मर्ज़ पूछते रहे…
काश ! वो हमारा इलाज पूछ लेते ।

©️®️मर्ज़ और इलाज/अनुनाद/आनन्द/०२.०६.२०२२