Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

दिन कहाँ अपने

आज के दौर में
दिन कहाँ अपने
अपनी तो बस
अब रात होती है।

बस व्यस्त काम में
खोए हैं सारे जज़्बात
इस सब में दिल की
कहाँ बात होती है।

कभी गलती से ख़ाली
जो मिल जाएँ कुछ पल
इन ख़ाली पलों में भी बस
काम की बात होती है।

आगे बढ़ने की दौड़ में
ठहरना भूल गए हम
मिलना-जुलना खाना-पीना
अब कहाँ ऐसी शाम होती है।

कुछ रिश्ते थे अपने
कुछ दोस्त सुकून के
घण्टों ख़ाली संग बैठने को अब
ऐसी बेकार कहाँ बात होती है।

आज के दौर में
दिन कहाँ अपने
अपनी तो बस
अब रात होती है।

©️®️दिन कहाँ अपने/अनुनाद/आनन्द/१२.०८.२०२२