Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK)

तो समझ लेना… प्यार है!

मिलने से बिल्कुल पहले बेचैनी बढ़ जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

धड़कन को संभालने की कोशिश बढ़ जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

जब सामने आते ही बारिश पड़ जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

आकाश के भी खुशी से आँसू छलक जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

जब इरादे संकोच पर भारी पड़ जाए
तो समझ लेना.…. प्यार है!

तुमसे पहले आगे बढ़कर वो गले लग जाए
तो समझ लेना.…. प्यार है!

पल भर को देख लेने से दिल हल्का हो जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

भरसक नज़रें न मिलें पर मन मिल जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

एक छोटी सी मुलाकात से कैसे संतोष हो जाए?
तो समझ लेना.…. प्यार है!

आँखों-आँखों में फिर मिलने का वादा हो जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

जब किसी शहर जाने की वजह मिल जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

जब कोई तुम्हारे लिए पूरा का पूरा शहर हो जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

जब इरादे संकोच पर भारी पड़ जाए
तो समझ लेना.…. प्यार है!

जब सामने आते ही बारिश पड़ जाए
तो समझ लेना….. प्यार है!

©®तो समझ लेना/अनुनाद/आनन्द/२९.०५.२०२२

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ज़िन्दगी में कभी लॉकडाउन नहीं होता…

साँसे तो हमें रोज लेनी है
भूख भी रोज ही लगनी है
सच है कि साँस उखड़ने से पहले
ज़िन्दगी में कभी लॉकडाउन नहीं होता…

मेहनत रोज ही करनी है
रोटी भी रोज कमानी है
उन्हें चलाने हैं फावड़े, कन्नी और बँसुली
मजदूरों की ज़िन्दगी में लॉकडाउन नहीं होता…

नदिया रोज है बहती
हवा भी रोज है चलती
करने को दिन-रात सूरज-चाँद रोज निकलते
इस प्रकृति के चक्र का लॉकडाउन नहीं होता…

रसोई रोज लगती है
थालियाँ रोज सजती है
रखने को ख्याल वो दिन भर लगी रहती
माँ की ज़िन्दगी में लॉकडाउन नहीं होता…

जीवन का नाम हैं चलने का
नहीं रुकने का नहीं ठहरने का
दौर मुश्किल, जरूरत है समझने की
इन दूरियों से नजदीकियों का लॉकडाउन नहीं होता…

तुम एक पल को बैठ सकते हो
अपने घर में रुक भी सकते हो
जिन्हें जरूरी है निकलना उनको मौका दो
आवश्यक सेवाओं का कभी लॉकडाउन नहीं होता…

प्रगति ने एक एक दौड़ शुरू की है
न चाहते हुए हमने दौड़ जारी रखी है
मौका मिला है रुक कर साँस लेने को
मुड़कर देखने को समय में लॉकडाउन नहीं होता…

किस्मत हमारी कितनी न्यारी है
शब्दों और कलम से हमारी यारी है
लिखना-पढ़ना ही है जीविका हमारी
घर बैठ काम करने को सबको लॉकडाउन नहीं मिलता…

©️®️लॉकडाउन/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०२.०५.२०२१

फोटू: साभार इंटरनेट

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अभी बाकी है, समय जो बीत गया !

शहर अभी भी ज़िंदा है,

कुछ मुझमें कुछ तुझमें!

समय पुराना रुका हुआ है,

कुछ मुझमे कुछ तुझमें!

 

सब कुछ पहले जैसा है,

कुछ मुझमें कुछ तुझमें!

नज़र अभी वही है देखो,

कुछ मुझमें कुछ तुझमें!

 

बिछड़े थे तो दोनों का कुछ हिस्सा

इक-दूजे में छूट गया था,

पाने को उसको चाह बची है,

कुछ मुझमें कुछ तुझमें!

 

उम्र कितनी बीत गयी, मिले हुए,

तेरी भी और मेरी भी !

किन्तु! उम्र अभी भी इक्कीस है,

तेरी भी और मेरी भी !

 

वक़्त पुराना फिर जीना है,

मुझको भी और तुझको भी!

इक मुलाकात की दरकार है बस,

मुझको भी और तुझको भी!

 

लिखता हूँ महसूस करता हूँ,

खुदको भी तुझको भी!

शायद इन शब्दों में तुम पढ़ लेते हो,

खुदको भी मुझको भी!

 

अभी बाकी है, समय जो बीत गया,

कुछ मुझमें कुछ तुझमें!

दिल की उम्र अभी जवाँ है,

पूरी मुझमें पूरी तुझमें।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१६ .०३ .२०२१