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कोई नाराज है ………

एक अगन सी है मेरे सीने में ,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
दिल ये कुछ बेचैन है ,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
कटता नहीं एक भी पल उसके बिना,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
सब कुछ सूना सा है,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
फिसल रहे हैं हाथों से मेरे ये कीमती पलों के मोती,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
समझने का दावा करके भी न समझ पाये उन्हें ,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
नामुराद हूँ जो उनका दिल दुखाया,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
क्या करूँ ज़तन उनकी मुस्कान के लिए ,
कि आज हमसे कोई नाराज है ….
चाहूंगा माफ़ी, जरा सी वो बात तो कर ले,
कि आज हमसे कोई नाराज है …. 
“लो छोड़कर दुनिया सारी, झुक गए सामने तेरे
कोई नहीं….. कोई नहीं…….. केवल तुम हो मेरे,
इक आरजू है कि भूल कर हमारी पिछली लड़ाई,
बोल दो कि अब नही … हम अब नही नाराज हैं।”