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कितने काम अधूरे रह गए!

जब से हम किसी काम के लायक हुए,
समय का ठिकाना नही इतने व्यस्त हुए।
जब कोशिशों में थे तब जी भर के जिए,
ऊंचाई पर तो सपने सभी अधूरे रह गए।
घुमक्कड़ी ये दिल था जब चाहा चल दिए,
अब कहाँ जाए बस मन मसोस कर रह गए।
समय अपना था पल भर में पूरी उम्र जिए,
इस गुलामी में उम्र पूरी पल में गुजार गए।
दूसरों को संभालने में खुद की सुध लेना भूल गए,
नाम तो हमने खूब कमाया पहचान अपनी भूल गए।
ये करेंगे वो करेंगे कामों की लिस्ट लंबी बनाते रह गए,
बस ख्याल ही बुनते रहे कितने काम अधूरे रह गए।

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लापता हूँ कब से मैं!

लापता हूँ कब से मैं,
ढूढ़ने को तुझे जो निकला मैं।
जगह अनजान नई हैं गलियाँ सभी,
अब नहीं पता कि कहा हूँ मैं।
न तेरा नाम और न गली का पता,
कैसे पूछूँ तेरे घर का पता मैं।
बगल से गुजरो हो जाये दीदार तेरा,
तू रहती आस पास, हूँ पक्का मैं।
सिग्नल मिल रहे मेरे राडार में है तू,
तेरे विकिरणों को पकड़ने में माहिर मैं।
मुझे पहचानोगे नही बस ये समझ लो,
तेरा दीवाना हूँ तुझसा ही दिखता मैं।
बेसब्र हो रहा हुई बहुत देर अब,
तेरी खोज में कब से लापता मैं।

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तुम्हारे बाद…

तुम्हारे बाद
केवल
तुम्हारी याद
और कुछ नही
बस निर्वात
नीरवता
अकेलापन
आंसुओं से भरी
गमगीन
दो आंखें
खोजेंगे तुमको
तुम्हारे बाद!

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सब में एक हुनर होता है!

सब में एक हुनर होता है,
जिसका अपना ही एक असर होता है।
उसकी एक मुस्कान में इतना क़हर होता है,
उस जादू पर न किसी झाड़-फूंक का असर होता है।
दिल पर लगता है जब उसके नैनों का तीर,
उस घाव पर पर न किसी दवा का असर होता है
साथ चल दे तो वही सुहाना हर सफर होता है,
हर किसी में एक हुनर होता है।

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चुपचाप गुज़र जाओ….

न रुको चलते जाओ
सफर कंटीला बहुत बचते जाओ
राह दुर्गम बहुत मगर बढ़ते जाओ
देख पैरों के छाले यूँ न घबराओ
नही कोई शजर कि ठहर पाओ
मत हो दुखी कि हंसते जाओ
समय लंबा इंतजार का इसका लुत्फ उठाओ
वो देखो सामने मंजिल कि कदम जरा तेज बढ़ाओ
अब खत्म सारी अड़चने कि अब ठंड पाओ
भूलकर दर्द सारे चुपचाप गुज़र जाओ।