अब तो सुबह होती है केवल और केवल घबराहट में,
टूटता बदन, निराश मन, इच्छा नही कही जाने की।
क्या बताएं बरखुरदार समस्या ज्यादा कुछ भी नही,
एक शाम और कुछ अदद छुट्टियां मिली नही हैं जमाने से।
अब तो सुबह होती है केवल और केवल घबराहट में,
टूटता बदन, निराश मन, इच्छा नही कही जाने की।
क्या बताएं बरखुरदार समस्या ज्यादा कुछ भी नही,
एक शाम और कुछ अदद छुट्टियां मिली नही हैं जमाने से।