दौर ए जमाँ बदल रहा है
हर इंसाँ बदल रहा है
कौन कितना बड़ा बहरूपिया
कम्पटीशन चल रहा है।
चोरी से की जाने वाली
चीज़ों का डिस्पले चल रहा है
अब और नया क्या करें
इस पर विचार चल रहा है।
प्रेम जैसी चीज़ का
फ़ैशन चल रहा है
और प्रेम है किधर
इस पर रिसर्च चल रहा है।
मुहब्बत पर नए तरीक़े से
जमकर प्रयोग चल रहा है
इश्क़ करने के तरीक़ों का
क़ारोबार चल रहा है।
रचाए ढेरों स्वाँग हमने
देखो रंगा पुता जिस्म चल रहा है
पैदा कर दे दिलों में लालसा
छलकता हुवा जवानी का पैमाना चल रहा है।
आज़माए हर तरीक़े पर
न कोई संतोष मिल रहा है
पाने को प्रेम इस जहाँ में
हर इंसाँ नंगा चल रहा है।