हाँ ! तुम भी तो बिल्कुल यूँ ही मुस्कुराती हो…
जैसे इन पत्तों पर बारिश की बूँदे।
तुम हमेशा पूछते हो न कि
मैने तुममे ऐसा क्या देखा?
और मैं कहता हूं कि तुम्हारी मुस्कान!
कैसी है मेरी मुस्कान?
तो तुम भी तो देखो न
इन पत्तों पर बारिश की बूँदे….
देखो न !
nilima

पत्तो पर ओस की बूँद
चमकती हैं मोतीयों सरीख
है सहज एहसास सा
पढ़ पाया आभास सा..।