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टैगलाइन!

“अव्यवस्थित वर्तमान ही सुव्यवस्थित भविष्य की नींव रखता है।”

यूँ ही बैठे-२ ऊपर वाली लाइनें लिख दीं। फिर सोचता रहा कि इसका मतलब क्या है? मने…. लिखी क्यों? लेकिन सही तो बहुत लग रही हैं! ऐसे ही नहीं लिख गया मुझसे ! काफी देर मशक्कत करने के बाद भी कहीं फिट नहीं कर पाया। कोई नहीं …… अब लिख दिया है तो उगलना भी हैं ….तो सोशल साइट्स पर उगल भी दिए! हर जगह! फिर भी मन में एक कचोट बानी ही रही….

रात में एक सपना आया। कहीं जा रहा था। रास्ते में सड़क खुदी पड़ी थी और जमकर भीड़ लगी थी। जब धीरे-२ बढ़ते हुए गड्ढे के बगल से गुज़रा तो तो वहां पर एक साइन बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था “कार्य प्रगति पर है। असुविधा के लिए खेद है।” अब सुबह उठे तो सोचे की ऐसा सपना भी कोई देखने वाली चीज है! हें नहीं तो ….. इन्हीं विचारों की उधेड़-बुन में शाम को लिखी इन लाइनों से रात के सपने का कनेक्शन मिल गया। हा हा ….. क्या गज़ब का कनेक्शन निकला!

अब आगे से कोई भी संस्था जो किसी लोक निर्माण व्यवस्था से जुड़ी हो तो मेरी लिखी इन लाइनों का प्रयोग कर सकती है कि “अव्यवस्थित वर्तमान ही सुव्यवस्थित भविष्य की नींव रखता है।” कृपया निर्माण के इस कार्य में सहयोग करें। अब भला किसी भलाई के कार्य के लिए खेद क्यूँ प्रकट किया जाए जैसा कि पहले की लाइनों “कार्य प्रगति पर है। असुविधा के लिए खेद है” , में किया जाता रहा है।

PWD और नगर निगम वाले मेरी इस लाइन का मुफ़्त इस्तेमाल करने के लिए आज़ाद हैं। बस मेरे नाम का प्रयोग अवश्य करें।😎

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२८.०१.२०२१

Author:

Writer, cook, blogger, and photographer...... yesssss okkkkkk I am an Engineer too :)👨‍🎓 M.tech in machine and drives. 🖥 I love machines, they run the world. Specialist in linear induction machine. Alumni of IIT BHU, Varanasi. I love Varanasi. Kashi nahi to main bhi nahi. Published two poetry book - Darpan and Hamsafar. 📚 Part of thre anthologies- Axile of thoughts, Aath dham assi and Endless shore. 📖 Pursuing MA Hindi (literature). ✍️ Living in lucknow. Native of Ayodhya. anunaadak.com, anandkanaujiya.blogspot.com

4 thoughts on “टैगलाइन!

  1. बहुत खूब लिखा है आपने। अब आप इस लाइन का कॉपीराइट करवा ही लीजिए। हा हा हा।

    कुछ मन में विचार आ रहे थे सोचा आपसे साझा किया जाए। आजकल बहुत सारे ऐसे गीत सुनने को मिलते हैं जिसमें यह देखा जाता है कि कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को रूपए पैसे और दौलत दिखाकर अपनी और आकर्षित करने की कोशिश करता है। क्या ऐसे गीत लिखने वाले गीतकार औरतों को बाजारू समझते हैं? मेरा ख्याल है की दौलत के आकर्षण से सिर्फ बाजारू औरतें ही प्रभावित हो सकती हैं, वास्तविक प्रेम को आकर्षित करने के लिए सादगी भरा दिल ही काफी है।

    आपका इस पर क्या विचार है? यदि आप भी मेरी बात से सहमत हैं तो कृपया अपने खूबसूरत शब्दों का प्रयोग करके यह विचार भी पाठकों के साथ साझा कीजिए।

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