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सामाजिक बराबरी पर चर्चा

जिस दिन बॉलीवुड/म्यूज़िक इंडस्ट्री में लिखे/चलचित्रित किए जाने वाले गीत male fantacy के साथ साथ female fantasies को भी एक बराबर से प्रस्तुत करने लगेंगे और audience उसे बिना किसी सामाजिक प्रतिरोध के स्वीकार भी कर लेंगे तो मैं समझूँगा कि अब समाज औरत-मर्द की बराबरी के लिए तैयार है। वरना तो बराबरी की सारी बातें बकवास हैं। फ़ेमिनिस्ट लोग ग़लत जगह हाथ पैर चला रहे हैं।

अपवाद:- भोजपुरी सिनेमा वाले इन सबसे ऊपर उठ चुके हैं। उन्होंने १०-१५ साल पहले ही ये प्रयास शुरू कर दिए थे।

चर्चा स्त्रियों से :- अगर आप आज कल के गानों को एंजॉय करते हैं जिसमें लड़कियों को एक वस्तु की तरह ट्रीट किया जा रहा है तो आप अभी बहुत ही कम उम्र वर्ग से सम्बन्धित हैं या आपको मतलब ही नहीं हैं क्यूँकि आप गाने सुनती ही नहीं हैं। यदि इन दोनो के अलावा से आप सम्बन्ध रखती हैं तो यह चिन्ता का विषय है । हम सबको मिलकर इस का विरोध करना होगा ।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०१.०२.२०२१

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आतंकवाद की परिभाषा पर चर्चा

जिस तरह से देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठिए शब्दों का इस्तेमाल हमारे देश में आम हो गया है तो इसे देखकर लगता है कि जल्दी ही असली देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठिए लोगों के लिए नई शब्दावली की खोज करनी पड़ेगी। वरना असली नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाएगा। 🤓

गज़ब तो तब है जब कि न्यूज़ चैनल वाले खुलेआम आतंकियों को टी वी पर दिखा रहे हों और नेता उन पर डिबेट कर रहे हैं, फिर भी सरकार ऐसे आतंकवादियों को खुला घूमने दे रही है। 😂

अब समय आ गया है या तो नए शब्दकोष विकसित किये जाएँ या फिर देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठियों को वर्गीकृत किया जाए जिससे इनमे अंतर स्पष्ट हो सके। जैसे- देशी आतंकवादी या विदेशी आतंकवादी! नहीं तो ग्रेडिंग व्यवस्था लागू हो जैसे ग्रेड 1, 2 ,3 और बोल-चाल की आम भाषा में इनका स्पष्ट प्रयोग किया जाए जिससे देश की आम जनता फर्क कर सके और कब वाकई में चिंतित होना है और कब हल्के में लेना है🤔।

एक आतंकवादी जैसा कि हमने लघु फिल्मों में टी वी के माध्यम से देखा है कि वर्षों की मेहनत के बाद आतंकवादी बन पाता था। इसके बाद जान की बाजी लगाने के बाद ही कहीं उसे आतंकवादी की उपलब्धि प्राप्त होती थी। किन्तु भारत देश में आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल इतना आम हो गया है कि अब आतंकवादियों को भी आतंकवादी बनने का क्रेज नहीं रहा। आतंकवादी नाम की अब वो कीमत नहीं रहीं कि एक आदमी अब इसके लिए अपनी जान दे जब कि एक साधारण सा धरना देकर कोई भी आतंकवादी बन सकता है। 🤣

विचार करने वाली बात है।🤔

क्यूँ??????😏

नोट:- यह केवल हास्य-व्यंग्य से सम्बंधित लेख है। देश में चल रही वर्तमान घटनाओं से इसका परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। किसान आंदोलन जैसी घटना तो मुझे पता तक नहीं। मैं न तो सरकार विरोधी हूँ और देश विरोधी तो मैं हो ही नहीं सकता । कृपया इस लेख को अन्यथा न लें।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३१.०१.२०२१