हिंदी दिवस पर क्या लिखूँ
हिंदी में ही तो लिखता हूँ
हिंदी को मनाऊँ कैसे
मैं हिंदी से परे कब हूँ।
हिंदी उच्चारण
हिंदी आचरण
हिंदी से हो
सभी दर्द निवारण।
हिंदी में करते बात
मेरे ये दो नयन
प्रेम हो विरह हो
चाहे हो तुमसे मिलन।
हँसना-रोना
रूठना – मानना
ख़ुशी या फिर ग़ुस्सा होना
है तो सब हिंदी ही।
तेरा रूप सुनहरा हिंदी
तेरी आँखें काली हिंदी
माथे पर वो बिंदी हिंदी
उलझे हुए बालों में हिंदी।
तुझको लिखी चिट्ठी हिंदी
न मिला जो जवाब हिंदी
तुम भूल गए तो हिंदी
मुझे याद आए तो हिंदी।
मुझमें हिंदी
मुझसे हिंदी
मैं जिससे निर्मित
वो है हिंदी।
मेरे लिए तो
सभी दिवस है हिंदी।