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इस बार दिवाली ऐसी हो…

हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

घर से जब मैं बाजार को निकलूँ,
कार में बैठूँ तो तेल की टंकी फुल हो,
और दुआ इतनी कि जब रेड सिग्नल पर रुकूँ,
सामने बच्चा लिये कोई मां हाथ न फैलाये हो ।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

बाज़ार सजे हों रंग बिरंगे,
जम कर शॉपिंग करूँ बिना थके,
ख्वाहिश इतनी कि किसी कपड़े की दुकान के बाहर,
कोई भी तेरा बन्दा, फटे चीथड़ों में न दिखे ।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

खेल खिलौने जी भर कर लूं,
अपने बच्चों को खुशियाँ भरपूर दूँ,
पर करम तेरा इतना हो मौला कि जब दुकान से निकलूँ,
सामने कोई बच्चा गुब्बारे बेचता न मिले।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

वो देखो इमरती देख जीभ लपलपाई,
न जाने कितनी तरह-2 की मिठाई,
प्रभु मीठा भले ही कम खाने को मिले,
पर संसार में पेट किसी का न भूखा हो।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

हर घर दीप जले हर घर रोशनी हो,
रोशनी इतनी कि न कहीं अंधेरा हो,
दिवाली तो रोशन मैं तब समझूँगा ऐ मेरे मालिक,
जब हर किसी की आंखों में दिए सी चमक हो।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …

दिवाली में पूजन के बाद हे प्रभु बस इतनी अरदास,
देना सब को सब कुछ न छूटने पाए किसी की आस,
काम आऊं सभी के कि इतना काबिल मुझे तू बनाना,
कोई उम्मीद से देखे मेरी तरफ तो न बोल पाऊं उसे ना।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो …