तुम्हारी इन अलौकिक और भोली अदाओं पर सब कुछ लुटाऊँ,
बेशक़ीमती तुम, मुझको मिले इस संसार में मैं विश्वास न कर पाऊँ,
तुम्हारे रूप और कलाओं में रस इतना कि इकट्ठा कर समुद्र हो जाऊँ,
अगर लिखने बैठूँ तो वर्णन करते करते कहीं सूरदास न हो जाऊँ !



तुम्हारी इन अलौकिक और भोली अदाओं पर सब कुछ लुटाऊँ,
बेशक़ीमती तुम, मुझको मिले इस संसार में मैं विश्वास न कर पाऊँ,
तुम्हारे रूप और कलाओं में रस इतना कि इकट्ठा कर समुद्र हो जाऊँ,
अगर लिखने बैठूँ तो वर्णन करते करते कहीं सूरदास न हो जाऊँ !