Posted in CHAUPAAL (DIL SE DIL TAK), SHORT STORY

जरुरत……!

हमारे जीवन चरित्र के कई आयामों का निर्धारण हमारे जीवन में पड़ने वाली जरूरतों के पूरा या अधूरा रह जाने से उत्पन्न परिणामों से होता है। ये पहले वाली लाइन कुछ ज्यादा ही पेंचीदा हो गई, लिख तो दिया, लेकिन जब खुद दोबारा पढ़ा तो मैं खुद चक्कर खा गया। इसको साधारण भाषा में समझने की कोशिश करते हैं। हमारे जीवन में कुछ बेसिक जरूरतें होती हैं जिनके बिना हम जीवित ही नहीं रह सकते, जैसे- जल, भोजन, वायु इत्यादि। इसके बाद कुछ जरूरतें जीवन को आसान बनाने के लिए होती हैं, जैसे खाना पकाने के लिए लकड़ी का चूल्हा, गैस-सिलिंडर, माइक्रोवेव या फिर इंडक्शन। इसके बाद आता है सोशल स्टेटस बनाने वाली जरूरतें! ये जरूरतें जरूरत न होकर दिखावा ज्यादा होती हैं जिन्हें एक व्यक्ति सामने वाले के प्रभाव में आकर या फिर सामने वाले पर प्रभाव डालने के लिए करता है जैसे कार ही ले लो- इसमें ब्रांड ज्यादा मैटर करता है और कितना मंहगा ब्रांड है ये भी। अब आखिरी में आती है जरुरत जो आपके खुद के लालच के वजह से पैदा होती है जैसे एक नहीं चार घर, चार कारें कई किलो जेवरात इत्यादि। ये लालच कभी-२ अति सुरक्षा के भाव के वजह से भी आती है। मानव मन, क्या-२ न जमा कर ले! अपने लिए, अपनों के लिए।  


कोरोना काल में इन जरूरतों में अंतर समझ में आ गया। ये कोरोना कहाँ-२ पहुँच जाता है। मेरी लेखनी में इसका जिक्र आ ही जाता है, न चाहते हुए भी। आये भी क्यों न? जिस तरह महात्मा बुद्ध को बरगद के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, उसी तरह मुझे कोरोना के काल और संरक्षण में ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसे भी अब गुरु का दर्जा प्राप्त है मेरी ज़िन्दगी में। सिर्फ मेरी ही नहीं, और लोगों की जिंदगी में भी कोरोना का रोल गुरु से कम नहीं है। अब सफाई को ही ले लीजिए। सफाई अभियान को लेकर मोदी जी ने न जाने कितनी झाड़ू लगाई, लगवाई और कितने करोड़ का बजट भी खर्च कर दिया लेकिन लोगों को सफाई न सिखा पाए। कोरोना ने एक झटके में भारत जैसे देश को सफाई सिखा दी। सिर्फ एक ही सन्देश- सफाई रखिये वरना साफ़ हो जाएंगे। लेकिन इस कोरोना ने जरूरतों की फेहरिस्त में कुछ चीजें और बढ़ा दी- सैनीटाइजर और मास्क। अब महीने की तनख्वाह मिलने के बाद राशन के साथ-२ ये चीजें भी भराई जाएँगी। दुकान वाले भैया २-४ लीटर सैनीटाइजर और दर्ज़न भर मास्क भी डाल देना। और हाँ पिछली बार के सैनीटाइजर की क्वालिटी ठीक नहीं थी। बीवी से सुनने को मिल गया, दो-चार आशीर्वचन। इस बार ध्यान रखना। अगर आपको दुकान पर ऐसा कुछ देखने को मिल जाये तो ताज्जुब न करियेगा। आपके साथ भी हो सकता है। तैयार रहिएगा। 


कुछ भी हो पर दिल में शांति बहुत है। थोड़ी-बहुत समस्याएँ हैं पर वो पहले भी थीं। हमेशा रहेंगी। चुपचाप कार्यालय जाओ, काम निपटाओ और कभी कार्य स्थल पर कोई मुश्किल आ जाये तो कोरोना तो है ही न, वो बचा लेता है। उसके बाद सीधे घर आओ, पानी पियो और आराम करो। न किसी फंक्शन में जाने का टेंशन और न ही किसी का बुलावा। न ही पहले की तरह किसी के अचानक घर आ टपकने की टेंशन। पूरी शाम और रात अपनी। इतवार भी पूरा अपना। उठो। मंजन। नाश्ता। शेविंग। फेशियल किट से फेशियल। स्नान। फिर दोपहर के १२ बजे तक लंच। और फिर मसनद गले लगाकर फुफुवा के सोना। बिना किसी चिंता के। बच्चे होने के बाद से गले लगाने को मसनद ही मिलता है। शाम में मस्त लिखा गया। दुनिया भर की साइट पर पोस्ट किया गया। इसी बीच बीवी से दो-चार आशीर्वचन भी लिए गए और जल्दी से दिए गए निर्देशों का पालन कर पुनः सोशल साइट पर डाले गए पोस्ट पर आने वाले लाइक और कमेंट का इंतजार करने लगे। मतलब कि आप बस इतना समझिए कि कोरोना ने जीना सीखा दिया। सारी फिजूल की जरूरतों, रवायतों को ख़त्म कर दिया। खुद पर ध्यान देने को समय ही समय। 


कुल मिलाकर सुकून से जीने के लिए जितना हो सके, जरूरतें कम रखिए और साथ में बयाने भी।जान है तो जहान है। दूर से ही अपनों के हाल-चाल लेते रहिए। पैसे डिजिटली भेजे जा सकते हैं। होम डिलीवरी का जमाना है। अब तो सराकरें भी घर तक आकर डिलीवरी कर रही हैं। पैसा भी सीधे खाते में भेज रहीं हैं, बिना किसी कमीशन के! बाकी साथ रहने की इतनी चुल्ल है तो पढ़-लिख कर गाँव-घर से दूर जाने की क्या जरुरत थी? पड़े रहिए ….. शांति से! जहाँ भी हैं। अगल-बगल वालों को ही परिवार समझिए। घर से निकलने की जरुरत नहीं। मिलने-मिलाने की भी नहीं। मिलने से याद आया कि बहुत दिन हो गए भैया की साली से मिले हुए। मिस कर रहीं होंगी ! चले ही जाते हैं मिलने…….! अपनी गाड़ी से……. 🙂


और हाँ. . . .  प्ले स्टेशन-4 भी लेना है 😉 . . . !


~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/११.०७.२०२०

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Writer, cook, blogger, and photographer...... yesssss okkkkkk I am an Engineer too :)👨‍🎓 M.tech in machine and drives. 🖥 I love machines, they run the world. Specialist in linear induction machine. Alumni of IIT BHU, Varanasi. I love Varanasi. Kashi nahi to main bhi nahi. Published two poetry book - Darpan and Hamsafar. 📚 Part of thre anthologies- Axile of thoughts, Aath dham assi and Endless shore. 📖 Pursuing MA Hindi (literature). ✍️ Living in lucknow. Native of Ayodhya. anunaadak.com, anandkanaujiya.blogspot.com

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